imanndar Lakadhare Ki Kahani - ईमानदार लकड़हारे की कहानी

ईमानदार लकड़हारे की कहानी 

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में शाम नाम का एक ग़रीब लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही मेहनती था। 

वो रोज सुबह जंगल में लकड़ी काटकर लाता और गांव में आकर उनको बेचकर जो पैसे मिलते उनसे अपना और पाने परिवार का पालन पोषण करता। 

एक दिन शाम रोज की तरह सुबह जंगल में लकड़ी काटने के लिए गया। उसके जंगल में नदी के किनारे पेड़ को काटना शुरू कर दिया। वो रोज की तरह काम कर रहा था।

अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी छूटकर नदी में जा गिरी। नदी गहरा था और शाम को तैरना नहीं आता था। वो वही नदी के किनारे  बैठ गया। लकड़हारा बहुत ही उदास हो गया था। क्योकि उसके पास वही कुल्हाड़ी थी जिससे वो रोज लकड़ियां काटकर और उनको बेचकर जो पैसे मिलते थे। उन्ही से अपने परिवार का पेट पालता था।

उसको समज नहीं आ रहा था की अब वो क्या करे। नई कुल्हाड़ी खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। 

कुछ समय के बाद अचानक नदी से एक देवी प्रकट हुई और शाम से उदास होने का कारण पूछा। शाम (लकड़हारे) ने सारी बात उस देवी को बताई।

ईमानदार लकड़हारे की कहानी

देवी ने साडी सुनकर पानी से शाम के लिए एक सोने की कुल्हाड़ी निकाल क्र पूछा कि यही है तुम्हारी कुल्हाड़ी। सोने की कुल्हाड़ी देख कर शाम पहले दंग रह गया। लेकिन वो बहुत ईमानदार था। इसलिए उसने कहा 

"हे देवी जी ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है"

लकड़हारे की बात सुनकर देवी एक बार फिर से नदी में वापिस गई और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी अपने साथ ले कर आई और फिर से लकड़हारे से पूछा 

देवी : "क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?"

शाम : "नहीं  देवी जी ये भी में कुल्हाड़ी नहीं है , मेरी कुल्हाड़ी तो बहुत पुरानी है"

देवी लकड़हारे की बात सुनकर फिर पानी से एक और कुल्हाड़ी  निकाल कर लाई, और फिर  से लकड़हारे से पूछा,

"क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?"

लकड़हारा : "कुल्हाड़ी को देख कर बहुत खुश हुआ और जोर जोर से कहने लगा "जी हाँ देवी माँ यही है मेरी कुल्हाड़ी "" .

देवी जी लकड़हारे की ईमानदारी देख कर बहुत खुश हुई और लकड़हारे को उसकी ईमानदारी के कारण उसको सोने और चांदी  कुल्हाड़ी भी दे दी। 

उसके बाद लकड़हारे को आर्शीवाद  देकर देवी जी फिर से पानी में चली गयी। लकड़हारा भी तीनो कुल्हाड़िओं को लेकर वापिस अपने घर चला गया और अपने परिवार के साथ एक अच्छी जिंदगी गुजरने लगा। 

तो हमे इस कहानी से क्या सिक्षा मिलती है। 

सिक्षा : हमेशा ईमानदारी से काम करो वर ईमानदार रहो। क्योकि ईमानदार हमेशा आपका साथ देगी। 

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