प्यासा कौआ की कहानी
इस लेख में हम बहुत ही पुराणी और प्यारी कहानी आपके साथ शेयर करेंगे। जो अपने और हमने बचपन से दादी माँ से और स्कूल में अधियापको सो जरूर सुनी होगी।
इसके इलावा हमने टीवी पैर भी इस कहानी को कार्टून के माध्यम से देखा होगा। जी हम मै "एक प्यासा कौआ" की बात कर रहा हूँ।
बहुत समय पहले एक कौआ था और गर्मी के मौसम था। उस कौए को बहुत प्यास लगी थी। पर उसको तालाब नज़र आया और न ही छोटा गड्डा जिसमे कुछ पानी हो।
कौआ को प्यास इतनी लगी थी की वो पानी की तलाश में कुआ अपने घोसले से बहुत दूर आ गया था। उसके पास अब इतनी ताकत नहीं थी की उड़ कर वापिस अपने घोसले में जा सके।
उस दिन गर्मी भी बहुत थी. कौए का प्यास के मारे बुरा हाल हो रहा था। उसको समाज नहीं आ रहा था की क्या करे।
तभी अचानक उसकी नज़र के मटके पर पढ़ी जिसमे पानी था। कौआ झट से उस मटके के पास गया और पानी पिने की कोशिश करने लगा।
लेकिन पानी का सत्तर निचा होने के कारण कौआ पानी तक नै पहुँच पा रहा था। कौआ को प्यास जोरों से लगी थी। पानी तो उसको हर हाल में पीना था वर्ण वो प्यास के कारन मर जाता। लेकिन कौआ वही जग पर बैठ कर सोचने लगा।
तभी उसकी नज़र पास पड़े कुछ कंकरो पर पड़ी। तो कौए को एक तरकीब सूझी, उसने उन पतथर के उन छोटे छोटे टुकड़ों को एक एक करके पानी के जग में डालना शुरू किया। जैसे-२ कौआ उन पथरों को पानी के जग में डाल रहा था। पाई ऊपर आने लगा।
कुछ समय के बाद पानी ऊपर आ गया, और कौए ने जो भर कर पानी पिया, और ख़ुशी ख़ुशी से उड़ गया।
सिक्षा: जहा चाह वह राह।
तो दोस्तों इस कहानी से हमे ये सिक्षा मिलती है की जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। हर बुरे वक़्त में कुछ न कुछ ऐसा होता है जिससे हमारा बुरा वक़्त ठीक हो सके. बस हमे वो रास्ता ढूढ़ना होता है।
दोस्तों आपको प्यासे कौए (The Thristy Crow)की कहानी कैसी लगी ?
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